Petrol Diesel Price Today : जब से सरकार ने पेट्रोल और डीजल पर लेवी बढ़ाने का फैसला किया है, लोगों की जेब पर सीधा असर पड़ रहा है। पेट्रोल की नई कीमत ₹254.63 और डीजल की ₹258.64 प्रति लीटर हो गई है।
सरकार ने जहां एक तरफ टैक्स बढ़ाया है, वहीं दूसरी तरफ OGRA की कीमतें घटाने की सिफारिशों को नजरअंदाज कर दिया है।
आम आदमी के लिए ये क्या मतलब रखता है?
अब ये सिर्फ एक आंकड़ा नहीं रहा — ये हर उस व्यक्ति की परेशानी है जो रोज कहीं जाने के लिए गाड़ी, बस, ऑटो या बाइक पर निर्भर है। डीजल की कीमतें बढ़ते ही ट्रांसपोर्ट महंगा होगा, और जब ट्रक में सब्जी-दूध-गैस लाएंगे, तो उनकी कीमतें भी ऊपर जाएंगी।
यानि आप चाहें गाड़ी चलाएं या न चलाएं — इसका असर हर घर की रसोई तक जरूर पहुंचेगा।
अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल सस्ता, लेकिन भारत में क्यों नहीं?
ये सवाल हर किसी के मन में है — जब ब्रेंट क्रूड 65 डॉलर प्रति बैरल तक गिर गया है, तो भारत में पेट्रोल-डीजल की कीमतें क्यों नहीं घटतीं? इसका जवाब है – टैक्स और लेवी। सरकार जब टैक्स नहीं घटाती, उल्टा और बढ़ा देती है, तो सस्ता कच्चा तेल भी हमारे किसी काम नहीं आता।
सबसे ज्यादा असर ग्रामीण भारत पर
शहरों में फिर भी पब्लिक ट्रांसपोर्ट का विकल्प होता है। लेकिन गांवों में जहां मोटरसाइकिल, ऑटो या ट्रैक्टर ही मुख्य साधन हैं, वहां डीजल महंगा होने से कृषि लागत बढ़ती है, लोगों की आवाजाही महंगी हो जाती है और घरेलू बजट गड़बड़ा जाता है।
विशेषज्ञ क्या कहते हैं?
आर्थिक विश्लेषकों का मानना है कि सरकार को ट्रांसपेरेंट फ्यूल प्राइसिंग पॉलिसी अपनानी चाहिए। जब अंतरराष्ट्रीय दरें घटें, तो जनता को भी उसका सीधा लाभ मिलना चाहिए। लगातार टैक्स और लेवी बढ़ाकर सरकार जनता का भरोसा खो रही है।
समाधान क्या हो सकता है?
- सरकार को टैक्स स्ट्रक्चर को लचीला और पारदर्शी बनाना चाहिए।
- वैकल्पिक ऊर्जा स्रोतों जैसे इलेक्ट्रिक वाहन, बायोफ्यूल और सार्वजनिक परिवहन को ज्यादा प्रोमोट किया जाए।
- साथ ही तेल की कीमतों को एक स्वचालित, बाजार आधारित तंत्र से जोड़ा जाए ताकि हर बदलाव का असर सीधा जनता तक पहुंचे।
आज जब महंगाई पहले ही आम आदमी को परेशान कर रही है, तब ईंधन की कीमतों में इस तरह की बढ़ोतरी हर वर्ग को प्रभावित करती है। सरकार को लंबी अवधि की नीति बनानी होगी, नहीं तो ये सिर्फ जेब पर असर नहीं डालेगा, बल्कि देश की आर्थिक सेहत पर भी भारी पड़ेगा।