Bank Accounts Limit – आज के दौर में जब हर चीज ऑनलाइन हो चुकी है, बैंकिंग भी काफी आसान हो गई है। पहले जैसे बैंक की लाइनें और घंटों इंतज़ार की परेशानी अब नहीं रही। अब बस मोबाइल उठाओ, ऐप खोलो और चंद मिनटों में पैसे भेज दो या मंगा लो। लेकिन इस पूरी सुविधा का फायदा उठाने के लिए सबसे जरूरी चीज है – बैंक अकाउंट।
सरकार की जनधन योजना ने तो बैंक अकाउंट खुलवाना इतना आसान बना दिया कि अब गांव-गांव तक हर आदमी का खाता खुल चुका है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि एक इंसान कितने बैंक अकाउंट खोल सकता है? और क्या ज्यादा अकाउंट होना सही भी है?
क्या कोई लिमिट है?
सबसे पहले तो ये जान लीजिए कि अभी तक भारतीय रिजर्व बैंक या किसी भी बैंक ने यह तय नहीं किया है कि एक व्यक्ति सिर्फ इतने ही अकाउंट खोल सकता है। यानी आप चाहें तो दस या बीस बैंक में भी खाता खोल सकते हैं। लेकिन क्या ये वाकई फायदेमंद है?
कई अकाउंट, कई झंझट
शुरुआत में लगता है कि एक से ज्यादा अकाउंट होने से फायदा होगा। किसी एक बैंक में सैलरी आएगी, दूसरे में सेविंग्स रखेंगे, तीसरे से लोन लेंगे वगैरह वगैरह। लेकिन जैसे ही समय बीतता है, ये सारी प्लानिंग उलझन में बदल जाती है।
हर अकाउंट का बैलेंस बनाए रखना, सर्विस चार्ज भरना, अलग-अलग पासवर्ड संभालना – ये सब एक सिरदर्द बन जाता है। कई बार तो लोग खुद भूल जाते हैं कि किस बैंक में कौन सा अकाउंट है और उसमें कितना पैसा पड़ा है।
एक ही सेविंग अकाउंट क्यों बेहतर है?
अब आप सोच रहे होंगे कि फिर क्या करें? तो सीधी सी बात है – एक ही सेविंग अकाउंट रखें और उसे अच्छे से मैनेज करें।
इसके फायदे भी कई हैं:
- एक ही डेबिट कार्ड होगा, जिससे अलग से कोई एक्स्ट्रा चार्ज नहीं देना पड़ेगा
- सभी ट्रांजैक्शन की जानकारी एक ही जगह मिलेगी
- मिनिमम बैलेंस बनाए रखना आसान होगा
- और सबसे बड़ी बात, बैंक की सर्विस फीस, SMS अलर्ट चार्ज, ATM कार्ड की फीस जैसी चीजों से आप बच जाएंगे
RBI और बैंक क्या कहते हैं?
बात करें नियमों की, तो RBI ने अकाउंट की संख्या पर कोई रोक नहीं लगाई है, लेकिन मिनिमम बैलेंस बनाए रखना जरूरी बताया है। अलग-अलग बैंकों में ये रकम अलग होती है। कहीं 500 रुपये तो कहीं 5000 रुपये तक।
अगर आपके पास कई अकाउंट हैं और आप उनमें से किसी में बैलेंस नहीं रखते, तो बैंक हर महीने उसमें से चार्ज काटता रहेगा। और धीरे-धीरे आपका खाता जीरो हो सकता है या फिर इनएक्टिव भी घोषित हो सकता है।
क्रेडिट स्कोर पर भी पड़ता है असर
आजकल लोन लेना किसी की भी जिंदगी का हिस्सा बन गया है – चाहे कार लोन हो, पर्सनल लोन या होम लोन। लेकिन इसके लिए जरूरी होता है एक अच्छा क्रेडिट स्कोर यानी CIBIL Score।
अब अगर आपके पास कई अकाउंट हैं और किसी को आपने लंबे समय से अपडेट नहीं किया या बैलेंस नहीं रखा, तो बैंक उसे इनएक्टिव या ओवरड्यू मान सकता है। इससे सीधा असर आपके सिबिल स्कोर पर पड़ता है, और जब आपको लोन चाहिए होता है, तो मुश्किल आ जाती है।
छिपे हुए खर्चों से कैसे बचें?
हर अकाउंट के साथ कुछ खर्चे छिपे होते हैं, जिन पर आमतौर पर कोई ध्यान नहीं देता – जैसे डेबिट कार्ड की सालाना फीस, SMS अलर्ट फीस, नेट बैंकिंग चार्ज, चेकबुक चार्ज वगैरह।
अगर आपके पास पांच अकाउंट हैं और हर एक से साल में 500 से 1000 रुपये का चार्ज कट रहा है, तो सोचिए साल में कितनी रकम यूं ही चली जाती है।
डॉर्मेंट अकाउंट का खतरा
जो अकाउंट आप लंबे समय से इस्तेमाल नहीं करते, वो डॉर्मेंट यानी निष्क्रिय बन जाता है। ऐसे अकाउंट में धोखाधड़ी की आशंका भी बढ़ जाती है।
कोई भी अगर आपकी जानकारी के बिना उस अकाउंट का गलत फायदा उठा ले, तो आपको लंबे समय बाद पता चलेगा और तब तक नुकसान हो चुका होगा।
क्या करना चाहिए? अपनाएं ये आसान उपाय
- जरूरत से ज्यादा बैंक अकाउंट न खोलें
- जिन खातों का इस्तेमाल नहीं हो रहा, उन्हें बंद करवा दें
- सभी अकाउंट्स के बैलेंस पर नजर रखें
- डेबिट कार्ड्स और बैंक चार्जेस को समय-समय पर चेक करें
- बैंक से मिलने वाले SMS और ईमेल अलर्ट को बंद न करें
तो अब बात साफ है – एक व्यक्ति जितने चाहे उतने बैंक अकाउंट खोल सकता है, लेकिन ज्यादा अकाउंट रखना समझदारी नहीं है। एक या दो अच्छे अकाउंट को ध्यान से मैनेज करना, बैंकों के झंझटों से दूर रखने का सबसे अच्छा तरीका है।
बैंकिंग में भी ‘कम लेकिन बेहतर’ वाला फंडा अपनाएं और अपने पैसे को सुरक्षित और सही जगह निवेश करें।