EMI Bounce – अगर आपने होम लोन लिया है और किसी वजह से ईएमआई नहीं भर पा रहे हैं, तो ये जानना बहुत जरूरी है कि बैंक कब और कैसे आप पर एक्शन ले सकता है। बहुत से लोग ये सोचते हैं कि एक दो किस्त मिस हो गई तो कोई बात नहीं, लेकिन सच्चाई ये है कि अगर आप लगातार ईएमआई नहीं भरते, तो बैंक धीरे-धीरे सख्त होता जाता है। चलिए जानते हैं पूरा प्रोसेस।
पहली किस्त मिस होने पर बैंक क्या करता है
जब पहली बार आपकी ईएमआई बाउंस होती है, तो बैंक सीधे कोई बड़ी कार्रवाई नहीं करता। लेकिन वो इस बात को अपने रिकॉर्ड में नोट कर लेता है। यानी पहली बार माफ किया जा सकता है, लेकिन इसे हल्के में लेना ठीक नहीं है। बैंक आपको ये भरोसा नहीं देता कि अगली बार भी छोड़ देगा।
दूसरी ईएमआई मिस करने पर रिमाइंडर नोटिस
अगर आप लगातार दूसरी किस्त भी नहीं भरते हैं, तो बैंक की ओर से आपको रिमाइंडर नोटिस भेजा जाता है। इसमें आपको बताया जाता है कि आपने लगातार दो किस्तें नहीं भरी हैं और अगली बार से मामला गंभीर हो सकता है। ये नोटिस आमतौर पर कॉल, मैसेज या ईमेल के जरिए भी भेजा जाता है।
तीसरी और चौथी किस्त बाउंस हुई तो मामला लीगल हो जाता है
अब बात तब बिगड़ती है जब आप लगातार तीसरी किस्त भी नहीं भरते हैं। इस स्थिति में बैंक आपको लीगल नोटिस भेजता है। यानी अब मामला कानूनी रूप ले लेता है। इसमें आपको चेतावनी दी जाती है कि अगर आपने जल्द ही बकाया नहीं चुकाया, तो अगला कदम घर की नीलामी हो सकता है।
चौथी और पांचवीं किस्त न भरने की स्थिति में बैंक सीधे नीलामी की प्रक्रिया शुरू कर देता है। इससे पहले आपको एक अंतिम नोटिस भेजा जाता है जिसमें साफ-साफ लिखा होता है कि अगर पैसे नहीं मिले तो बैंक प्रॉपर्टी बेच देगा।
घर की नीलामी कैसे होती है
अगर पांचवीं किस्त भी नहीं चुकाई गई, तो बैंक आपकी प्रॉपर्टी को नीलाम करने का अधिकार रखता है। नीलामी से जो पैसा आता है, उससे बैंक अपना बकाया वसूल करता है। अगर नीलामी से ज्यादा पैसा मिल जाता है, तो बची हुई रकम आपके अकाउंट में भेज दी जाती है।
समस्या हो तो बैंक से बात करें
अगर आप सच में ईएमआई नहीं भर पा रहे हैं, तो सबसे अच्छा तरीका है कि आप खुद जाकर बैंक से बात करें। बैंक मैनेजर को अपनी स्थिति बताएं। उन्हें भरोसा दिलाएं कि आप जल्द ही भुगतान कर देंगे। आप चाहें तो पुराने समय पर चुकाई गई ईएमआई के सबूत भी दिखा सकते हैं। इससे बैंक को यकीन होगा कि आप सिरियस हैं।
निवेश गिरवी रखकर राहत पा सकते हैं
अगर आपके पास कुछ निवेश हैं, जैसे एफडी, म्यूचुअल फंड या बीमा पॉलिसी, तो उन्हें बैंक में गिरवी रखकर भी आप राहत पा सकते हैं। इससे बैंक को लगेगा कि आप वाकई में लोन चुकाना चाहते हैं और वो आपको थोड़ा वक्त दे सकता है।
लोन रीस्ट्रक्चर का भी है ऑप्शन
अगर आपकी आर्थिक स्थिति फिलहाल ठीक नहीं है, लेकिन आगे ठीक होने की उम्मीद है, तो आप बैंक से तीन महीने की छूट मांग सकते हैं। आप चाहें तो लोन की अवधि बढ़वा सकते हैं या ईएमआई की रकम थोड़ी कम करवा सकते हैं। इसे लोन रीस्ट्रक्चरिंग कहा जाता है।
अगर आपका लोन फ्लोटिंग रेट पर है और ब्याज दरें बढ़ने से आपकी ईएमआई ज्यादा हो गई है, तो आप फिक्स्ड रेट में बदलवाने की भी सोच सकते हैं। इससे भविष्य में बढ़ती ब्याज दरों का असर नहीं पड़ेगा।
घर को किराये पर देकर भी भर सकते हैं ईएमआई
अगर आप खुद उस घर में नहीं रह रहे हैं या आपके पास और भी प्रॉपर्टी है, तो घर को किराये पर चढ़ाकर उससे मिलने वाली इनकम से ईएमआई भरी जा सकती है। ये एक आसान तरीका है, खासकर तब जब आपकी सैलरी में दिक्कत हो रही हो।
अगर नीलामी की नौबत आए, तो खुद बेचें घर
अगर मामला इतना बिगड़ गया है कि बैंक नीलामी करने वाला है, तो उससे बेहतर है कि आप खुद प्रॉपर्टी बेचें। इससे आपको मार्केट रेट पर अच्छा दाम मिल सकता है और बैंक के मुकाबले ज्यादा पैसा भी बचेगा। इस पैसे से लोन भी चुकाया जा सकता है और कुछ रकम हाथ में भी आएगी।
होम लोन लेना जितना आसान लगता है, उतना ही जरूरी है कि आप समय पर किस्त चुकाएं। एक दो किस्त छूटने पर बैंक सख्त नहीं होता, लेकिन अगर आप लगातार गलती करते हैं तो नतीजे गंभीर हो सकते हैं। बेहतर होगा कि आप अपनी आर्थिक स्थिति का आंकलन करें और जरूरत पड़ने पर समय रहते बैंक से मदद लें। इससे आप न सिर्फ घर बचा पाएंगे बल्कि मानसिक शांति भी बनी रहेगी।