चुनाव से पहले सरकार का बड़ा दांव? OPS पर हो सकता है बड़ा फैसला – OPS Scheme

OPS Scheme : 1 अप्रैल 2004… ये तारीख सरकारी कर्मचारियों के लिए किसी बड़े टर्निंग पॉइंट से कम नहीं थी। इसी दिन केंद्र और कई राज्य सरकारों ने पुरानी पेंशन योजना (OPS) को बंद कर नई पेंशन योजना (NPS) लागू कर दी थी। तब से अब तक सरकारी कर्मचारी लगातार इस फैसले के खिलाफ आवाज़ उठाते आ रहे हैं।

पुरानी योजना यानी OPS में सेवानिवृत्ति के बाद तय पेंशन मिलती थी, वो भी ज़िंदगी भर। लेकिन नई योजना में सब कुछ शेयर मार्केट के हवाले! यानी पेंशन का कोई पक्का भरोसा नहीं। बस यही वजह है कि सरकारी कर्मचारी NPS से नाखुश हैं और OPS की वापसी की मांग जोरों पर है।

कर्मचारी बोले – पेंशन हो तो भरोसेमंद हो!

राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के अध्यक्ष जे.एन. तिवारी लंबे समय से OPS की बहाली के लिए प्रयास कर रहे हैं। प्रधानमंत्री से लेकर मुख्यमंत्री तक, हर जगह ज्ञापन और मीटिंग्स के ज़रिए उन्होंने इस मुद्दे को उठाया है। कर्मचारियों की सीधी सी मांग है – हमें दोनों स्कीम्स में से चुनाव करने का हक़ मिलना चाहिए।

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राज्य सरकारें भी आईं एक्टिव मोड में

कर्मचारियों का दबाव अब इतना बढ़ गया है कि कुछ राज्य सरकारें पुरानी पेंशन योजना को वापस लाने पर विचार कर रही हैं। लेकिन इसमें भी कुछ पेंचीदगियाँ हैं – जैसे NPS में अब तक कटे पैसे का क्या होगा? और इसकी भरपाई कैसे होगी?

2009 तक केंद्र सरकार ने कुछ विशेष शर्तों पर OPS का विकल्प दिया था, लेकिन सभी कर्मचारियों को ये सुविधा नहीं मिली, जिससे असमानता बढ़ गई।

मुख्यमंत्री से मुलाकात, केंद्र ने बनाई कमेटी

26 अगस्त को जे.एन. तिवारी ने सीएम योगी आदित्यनाथ से मुलाकात की और OPS पर बात की। मुख्यमंत्री ने बताया कि केंद्र सरकार इस मुद्दे पर एक विशेष समिति बना चुकी है, जिसकी रिपोर्ट OPS के पक्ष में है। यानी उम्मीदें अब भी ज़िंदा हैं, लेकिन अंतिम फैसला अभी नहीं आया है।

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पुरानी बनाम नई पेंशन – कौन बेहतर?

NPS में सरकार और कर्मचारी, दोनों पैसा जमा करते हैं, जो मार्केट में निवेश होता है। इससे सरकार का खर्च कम होता है, लेकिन कर्मचारी रिस्क में रहते हैं। वहीं OPS में अंतिम वेतन का एक निश्चित प्रतिशत पेंशन के रूप में ज़िंदगी भर मिलता है – बिना किसी टेंशन के। कर्मचारी चाहते हैं कि उन्हें चुनने का विकल्प दिया जाए।

चुनाव और पेंशन – जुड़ गया है बड़ा सियासी रिश्ता

OPS अब सिर्फ कर्मचारियों की लड़ाई नहीं, बल्कि चुनावी मुद्दा भी बन गया है। कई राज्यों में विधानसभा चुनाव और 2024 की लोकसभा चुनाव की तैयारियां जोरों पर हैं। ऐसे में यह मुद्दा राजनीतिक दलों के लिए वोट खींचने का हथियार भी बन सकता है।

क्या मिलेगा एरियर?

OPS की बहाली के साथ एक और अच्छी खबर ये है कि कर्मचारियों को 18 महीने का बकाया एरियर भी मिल सकता है। हालांकि तारीख और प्रक्रिया पर अभी तक कोई ऑफिशियल अनाउंसमेंट नहीं हुआ है।

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रास्ता आसान नहीं, लेकिन नामुमकिन भी नहीं

OPS की वापसी सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती होगी। पुराने फंड्स का क्या होगा, वित्तीय बोझ कैसे मैनेज होगा – ये सारे सवाल अभी जवाब मांगते हैं। लेकिन अगर सरकार सभी पक्षों से बातचीत कर कोई स्मार्ट प्लान बनाए, तो इस पर काम हो सकता है।

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