Toll Tax Rules – भारत में टोल टैक्स को लेकर हमेशा चर्चा होती रही है। आए दिन वाहन चालकों को टोल प्लाजा पर लंबी कतारों का सामना करना पड़ता है, जिससे समय और ईंधन दोनों की बर्बादी होती है। इसे ध्यान में रखते हुए केंद्रीय सड़क एवं परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने हाल ही में घोषणा की कि 1 अप्रैल 2025 से देश में एक नई टोल नीति लागू होगी।
इस नई नीति का मकसद टोल व्यवस्था को आसान बनाना और वाहन चालकों को राहत देना है। इसके तहत टोल शुल्क में संभावित छूट, वार्षिक और लाइफटाइम पास जैसी सुविधाएं और एक नई तकनीक पर आधारित टोलिंग सिस्टम लाया जाएगा। आइए जानते हैं कि इस नीति के तहत क्या बदलाव होंगे और यह आम जनता के लिए कितनी फायदेमंद साबित होगी।
क्या है नई टोल नीति?
सरकार एक ऐसी टोल प्रणाली लेकर आ रही है, जिससे वाहन चालकों को टोल प्लाजा पर हर बार रुकने की जरूरत नहीं पड़ेगी। इस नई व्यवस्था में टोल शुल्क में पारदर्शिता बढ़ेगी और वाहन मालिकों को कई तरह की सुविधाएं मिलेंगी।
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वार्षिक और लाइफटाइम पास
अब हर बार टोल पर रुककर भुगतान करने की जरूरत नहीं होगी। सरकार वार्षिक और लाइफटाइम पास की सुविधा देने जा रही है।
- वार्षिक पास की कीमत लगभग तीन हजार रुपये होगी।
- लाइफटाइम पास तीस हजार रुपये में मिलेगा, जो पंद्रह वर्षों तक वैध रहेगा।
इसका मतलब यह हुआ कि जो लोग रोजाना हाईवे पर सफर करते हैं, उनके लिए यह सुविधा किफायती होगी।
GNSS आधारित टोलिंग सिस्टम
सरकार टोल वसूली के लिए GNSS (Global Navigation Satellite System) तकनीक अपनाने जा रही है। इस तकनीक से वाहनों को ट्रैक किया जाएगा और वाहन मालिकों को केवल उतनी ही दूरी का टोल देना होगा, जितनी उन्होंने यात्रा की है। इससे टोल प्लाजा पर लगने वाली लंबी कतारों से राहत मिलेगी और टोल की पारदर्शिता भी बढ़ेगी।
टोल शुल्क में छूट
सरकार यह भी सुनिश्चित कर रही है कि नई नीति के तहत टोल शुल्क ज्यादा बोझ न बने। इसके लिए उचित दरों पर टोल शुल्क तय किए जा सकते हैं, जिससे आम आदमी को राहत मिलेगी।
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नई नीति का उद्देश्य क्या है?
इस नीति के पीछे सरकार की कुछ खास योजनाएं हैं।
- सड़क निर्माण और रखरखाव – टोल से मिलने वाली राशि का उपयोग नई सड़कों के निर्माण और पुरानी सड़कों के रखरखाव में किया जाएगा।
- समय और धन की बचत – वार्षिक और लाइफटाइम पास जैसी सुविधाएं वाहन चालकों का समय बचाएंगी और ईंधन की बर्बादी भी कम होगी।
- तकनीकी सुधार – GNSS आधारित प्रणाली पारंपरिक टोल प्लाजा को हटाकर एक स्मार्ट टोलिंग सिस्टम बनाएगी।
नई टोल नीति कैसे काम करेगी?
GNSS आधारित टोलिंग
अब वाहन चालकों को टोल प्लाजा पर रुकने की जरूरत नहीं होगी। GNSS तकनीक से वाहन ट्रैक किए जाएंगे और टोल सीधे उनके बैंक खाते से कट जाएगा।
वार्षिक और लाइफटाइम पास
अभी मासिक पास लगभग तीन सौ चालीस रुपये का होता है, जो सालाना चार हजार अस्सी रुपये बैठता है। लेकिन अगर कोई वार्षिक पास लेता है, तो उसे तीन हजार रुपये ही देने होंगे। इसी तरह, लाइफटाइम पास लेने पर वाहन चालक को पंद्रह वर्षों तक कोई टोल नहीं देना पड़ेगा।
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सरकार को कितना फायदा होगा?
भारत में टोल वसूली से सरकार को हर साल हजारों करोड़ रुपये की आमदनी होती है।
- वर्ष 2023-24 में कुल टोल कलेक्शन लगभग 64,809 करोड़ रुपये हुआ था, जो पिछले वर्षों की तुलना में 35 प्रतिशत ज्यादा था।
- सरकार अगले दो वर्षों में इसे बढ़ाकर 1.40 लाख करोड़ रुपये तक पहुंचाने की योजना बना रही है।
नई टोल नीति से आम जनता को क्या लाभ होगा?
- समय की बचत – FASTag और GNSS तकनीक के चलते टोल प्लाजा पर लगने वाली लंबी कतारों से छुटकारा मिलेगा।
- ईंधन की बचत – टोल प्लाजा पर रुकने और फिर से गति पकड़ने में अतिरिक्त ईंधन खर्च होता है। नई नीति से यह समस्या खत्म हो जाएगी।
- धन की बचत – वार्षिक और लाइफटाइम पास की सुविधा से वाहन मालिकों को टोल पर ज्यादा पैसा खर्च नहीं करना पड़ेगा।
- पारदर्शिता – अब यात्रा की गई दूरी के हिसाब से ही टोल देना होगा, जिससे गलत टोल वसूली की संभावना कम होगी।
नई टोल नीति के साथ अन्य सुधार
सरकार सिर्फ टोल व्यवस्था ही नहीं, बल्कि पूरे परिवहन ढांचे में सुधार करने के लिए कई और योजनाएं भी ला रही है।
ग्रीन एक्सप्रेस हाईवे
देश में 36 ग्रीन एक्सप्रेस हाईवे बनाए जा रहे हैं, जिससे लॉजिस्टिक्स की लागत कम होगी और वाहनों को लंबी दूरी तय करने में कम समय लगेगा।
बायोफ्यूल उत्पादन
सरकार कृषि अपशिष्ट से बायो-CNG और बायो-बिटुमेन बनाने की योजना पर काम कर रही है। इससे पर्यावरण को भी फायदा होगा और किसानों को आर्थिक लाभ मिलेगा।
इलेक्ट्रिक वाहन रणनीति
सरकार इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा दे रही है और उनके लिए चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार किया जा रहा है। इससे आने वाले समय में इलेक्ट्रिक वाहनों की संख्या बढ़ेगी और पेट्रोल-डीजल पर निर्भरता कम होगी।
नई टोल नीति वाहन चालकों के लिए कई सुविधाएं लेकर आ रही है। GNSS आधारित टोलिंग, वार्षिक और लाइफटाइम पास जैसी व्यवस्थाओं से समय और धन की बचत होगी। इसके अलावा, सरकार सड़क निर्माण और परिवहन सुधार को भी ध्यान में रख रही है।
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अगर यह नीति सही ढंग से लागू होती है, तो आने वाले वर्षों में भारत की टोल व्यवस्था दुनिया की सबसे आधुनिक टोलिंग प्रणाली में शामिल हो सकती है। अब देखना यह होगा कि यह नई नीति कितना कारगर साबित होती है और वाहन चालकों को कितनी राहत मिलती है।